भोपाल । जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कहा है कि गोस्वामी तुलसीदास जी नहीं होते, तो न हमारी चोटी होती, न हमारी रोटी होती और न ही हमारी बेटी होती। देश भी स्वतंत्र नहीं होता। देश को आजादी दिलाने वाले महात्मा गांधी ने भी तो रामचरितमानस से ही ‘रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम’ गाया था। भारत के चार व्यक्तियों में से एक के हिसाब से रामचिरतमानस मौजूद है। सभी संकल्प लें कि एकजुट होकर रामचरितमानस को संसद के दोनों सदनों में बहुमत से पारित कराकर राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराकर रहेंगे। महाराजश्री भेल के दशहरा मैदान में चल रही रामकथा के दूसरे दिन धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में 192 देश हैं। इन सभी देशों में रामचरितमानस को पढ़ा और गाया जाता है। रामचरितमानस जैसा राष्ट्र का ग्रंथ कोई भी नहीं है। अब तक गीता प्रकाशन ने एक अरब रामचरितमानस छापी है। यानी कि प्रत्येक चार व्यक्ति पर एक रामचरितमानस है।
