आज संवैधानिक संस्थाओं का बेजा इस्तेमाल है अघोषित आपातकाल:शर्मा

by Rahul Shende
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रूआबांधा में आपातकाल के 47 साल
 विषय पर परिचर्चा का आयोजन

भिलाई। लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान एचसीएल कॉलोनी रूआबांधा सेक्टर भिलाई में शनिवार को ”25 जून 1975 आपातकाल 47 साल में देश ने क्या पाया” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत में उपस्थित लोगों ने आपातकाल की त्रासदी को भोगने वाले लोकतंत्र के सेनानी द्वय भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण और भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय चंद्रशेखर के छाया चित्रों पर पुष्पांजलि अर्पित की। संस्था के अध्यक्ष आरपी शर्मा ने प्रमुख वक्ता के रूप में आपातकाल लगाने की तत्कालीन परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 के आम चुनाव एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में अपनी सत्ता बचाने के लिए आपातकाल लागू करते हुए लोकतंत्र पर कलंक लगाया था।

जिसे हम लोकतंत्र का काला दिवस मानते हुए याद करते हैं। 47 वर्ष पूरे होने पर भी उसका दंश देशवासी भुला नहीं पाए हैं।शर्मा ने आगे कहा कि आज की परिस्थितियों में मोदी सरकार का अघोषित आपातकाल और इंदिरा के घोषित आपातकाल से में ज्यादा फर्क नहीं है। आज भी मोदी सरकार अपने विरोधियों को दबाने के लिए जिस तरह से संवैधानिक संस्थाओं का बेजा इस्तेमाल कर रही है वह अघोषित आपातकाल नहीं तो और क्या है?
शर्मा ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी मोदी सरकार अलोकतांत्रिक तरीके अपनाकर अपने विरोधियों पर राजद्रोह का मामला दर्ज कर जेलों में डाल रही है। आम जनों की आवाज को दबाया जा रहा है शर्मा ने कहा कि इंदिरा गांधी ने कभी भी देश को जाति और धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश नहीं की, जबकि मोदी सरकार के अधीन लोकतंत्र एवं संवैधानिक संस्थाएं अंतिम सांसे गिन रही हैं। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से एलके वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार सहदेव देशमुख, अरविंद कुमार, राज कुमार सिंह, कपिल प्रसाद और प्रभु मिश्रा सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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